राष्ट्रीय कवि संगम
लक्ष्य एवं सम्प्रेरणा
राष्ट्रीय कवि संगम राष्ट्रीय भाव-बोध की कविता का मंच है | यह मंच लक्ष्य प्रेरित है |इसका लक्ष्य है -
कविता और राष्ट्रीयता का संग संग प्रसार करना | हमारे लिए न तो कविता का महत्त्व कम है और न ही राष्ट्रीयता का | हमारे लिए राष्ट्रीयता कोई एकांगी या संकुचित मनोवृत्ति नहीं है | राष्ट्रीयता है – भारतीय मिट्टी की महक, भारतीय संस्कारों की अनुगूँज, जो हमारे दैनंदिन के जीवन में, हमारी भाषा में, हमारी साँसों में, हमारे सुख दुख में, हमारे अंतर में, हमारी धमनियों में धड़कन बनकर पसरती है | इसलिए जब हम राष्ट्रीय कविता की बात करते हैं तो उसमें भारतीय जनमानस के सारे सुख दुख सहज रूप से समाविष्ट हो जाते हैं | दूसरे शब्दों में -- भारतीय जनजीवन के सुख दुख की कविता राष्ट्रीय कविता है |आज भ्रष्टाचार, महँगाई, चारित्रिक पतन, कन्या-तिरस्कार पूरे भारत के सरोकार हैं | अतः इन विषयों पर लिखित कविता पूरे राष्ट्र की ही आवाज़ है | कोई कवि घोटालों पर रोता है, और कोई कवि दामिनी के शीलहरण पर आँसू बहाता है; कोई बेहया राजनीति की खिल्ली उड़ाता है तो कोई आम आदमी की असहायता पर तंज कसता है, ये सब राष्ट्रीयता के ही अलग अलग स्वर हैं, जिनके मूल में है – स्वस्थ भारत के निर्माण की चिंता | जब कोई कन्या भारतीय वेश और संस्कार छोड़कर पश्चिमी जीवनशैली की दीवानी बन जाती है तो जिस मन को चोट पहुँचती है ; जब कोई बेटा अपने बड़े-बूढ़ों को वृद्धाश्रम की राह पर तजकर मौज से जीवनयापन करता है तो जिस दिल में दर्द उठता है, वही हृदय भारतीय है |
भारतीय मन के अनेक अनेक प्रसन्न रूप भी हैं | जब कोई कवि किसी भारतीय निष्ठा पर, सौंदर्य पर, उपलब्धि पर, विजय पर, उल्लास पर, उत्सव पर मनोमुग्ध होकर गुनगुनाता है, या गर्व से इठलाता है तो वह इठलाहट भी भारतीयता की ही अभिव्यक्ति है | यहाँ तक कि जब वह सम्पूर्ण विश्व के मंगल की कामना करते हुए सर्वे भवन्तु सुखिनः की कामना करता है तो भी वह भारतीय विचारों की ही पुनराभिव्यक्ति कर रहा होता है | यहाँ आकर राष्ट्रीयता और विश्व कामना मिलकर एक हो जाते हैं जैसे कि दूर एकांत स्थल पर धरती और आकाश मिलते दिखाई देते हैं |
कविता भी कहाँ एक रह गई है ? उसके दो रूप तो स्वयं स्पष्ट हैं | एक कविता पुस्तकों और गोष्ठियों में विराजित है और दूसरी मंचों पर | राष्ट्रीय कवि संगम मंचीय कविता को समर्पित है | मंचीय कविता में लाखों लाखों हृदयों को आंदोलित करने की क्षमता होती है | वह लोकतंत्रीय संस्कारों के अनुकूल है | जन जन को कविता के साथ जोड़ना, सरलतापूर्वक बड़े जनसमूह के ह्दय में उतरना , जनता के उल्लास और आह को अभिव्यक्त करना मंचीय कविता को खूब आता है | कविता की इसी खूबी पर मुग्ध है राष्ट्रीय कवि संगम |
देश के सभी कवियों को आह्वान है, राष्ट्र की दशा और दिशा को बदलने के लिए प्रतिबद्ध सभी कवियों, काव्यप्रेमियों को आह्वान है | वे आगे आएँ और कविता के इस मंच के साथ श्रोता, आयोजक या कवि बनकर समर्पित हों | यह राष्ट्र अपने अन्तर्निहित सौंदर्य और गौरव को पुनः प्राप्त करके ही रहेगा | आवश्यकता बस आपके कदम बढ़ाने की है |